स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर भारत कर्तव्य पथ को जीवन पथ बना स्वर्णिम संकल्प के साथ अमृत यात्रा के लिए चल पड़ा है। लेकिन किसी भी राष्ट्र की यात्रा में उसका आधार बेहद महत्वपूर्ण होता है, उसकी नींव का मजबूत होना जरूरी होता है। ऐसे में भारत का 75वें वर्ष से 100वें वर्ष की इस यात्रा के लिए संजोया गया सपना पूरी तरह हो साकार, इसके लिए बीते कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र ने निर्णायक फैसले लिए, ताकि एक मजबूत नींव के साथ जब देश अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब विकासशील से विकसित देशों की कतार में खड़ा हो सके भारत। आइए जानते हैं राष्ट्र के ऐसे 100निर्णय जो बन गए हैं अमृत यात्रा का आधार…...
राष्ट्रवाद को प्रेरणा, अंत्योदय को दर्शन और सुशासन को मंत्र बनाकर देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने और निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रखने की सोच के साथ पहली बार किसी केंद्र सरकार ने समयबद्ध तरीके से अंतिम छोर तक विकास की पहुंच सुनिश्चित कर विकसित भारत की बुनियाद रख दी है। ताकि एक मजबूत नींव के साथ जब देश 2047 में स्वतंत्रता का शताब्दी समारोह मनाए तब भारत विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में न केवल खड़ा हो, बल्कि उसका नेतृत्व करने का सामर्थ्य रखने वाला बने। आमतौर पर किसी भी सरकार की कसौटी यह नहीं होती कि उसने क्या किया, बल्कि अंतिम छोर तक उसकी डिलिवरी महत्वपूर्ण होती है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की अमिट पहचान बन चुकी है। भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर अमृत यात्रा की ओर आगे बढ़ चुका है, जिसे प्रधानमंत्री ने अमृत काल का नाम दिया है।
यह कालखंड केवल आने वाले 25 वर्ष नहीं हैं, बल्कि सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के ध्येय के साथ बीते आठ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने गरीबों के कल्याण, मध्यम वर्ग को मजबूत करने, महिलाओं को सशक्त बना नारीशक्ति के नेतृत्व में विकास, किसान हितैषी नीतियों के जरिए बुवाई के हर चरण में अन्नदाताओं की चिंता का समाधान करना, युवाओं के लिए शिक्षा-रोजगार के अवसर और सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता के साथ राष्ट्र के विकास को सदैव प्राथमिकता दी है।
विकासवाद को मुख्यधारा में लाकर अन्य सामाजिक कुरीतियों को धराशायी किया गया और विकास देश की राजनीति, कार्यनीति और राष्ट्रनीति का मुख्य आधार बन गया। 2014 में प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी हर नीति निर्माण और एक्शन में ‘भारत प्रथम’ को सर्वोपरि रखा और उसी संकल्प ने उन्हें कठोर से कठोर निर्णय लेने का साहस प्रदान किया। भारत की सीमाओं की सुरक्षा हो या उन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना, आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए वसुधैव कुटुंबकम की भावना और विदेशों में भी भारतीय हितों के साथ-साथ मानवता के कल्याण की सोच का नेतृत्व किया। डिजिटल क्रांति से लेकर खुले में शौच से मुक्ति, कोविड के स्वदेशी टीकों से अपने नागरिकों के साथ-साथ विश्व मानवता को सुरक्षित करना, निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि तक पहुंचना, ये कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जिसे अतीत में असंभव मानकर नियति के भरोसे छोड़ दिया गया था।
अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सेवाओं और योजनाओं की पहुंच, इंफ्रास्ट्रक्चर और परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना, हर नागरिक तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना, प्रधानमंत्री मोदी के शासन में सकारात्मक बदलाव के उदाहरण हैं। सरकार ने विभिन्न उपेक्षित समूहों का सशक्तीकरण सुनिश्चित कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान किया है ताकि वे भी आत्मनिर्भर हो सकें। केंद्र सरकार ने हमेशा इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि कोई भी व्यक्ति विकास की राह में पीछे न छूट जाए, इसलिए बीते कुछ वर्षों में जनकल्याण से जगकल्याण की सोच प्राथमिकता बनी है। यही कारण है कि अब सरकार ने अमृत काल में सभी योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक मजबूत, समृद्ध, समावेशी और विकसित भारत बनाने के लिए अगले 25 वर्षों के अमृत काल के रूप में एक नया संकल्प राष्ट्र को दिया है। उसे साकार करने के लिए जन-जन को प्रेरित भी किया है।
बीते 8 वर्ष के दौरान देश में अनेक बड़े काम हुए हैं। इनमें से अनेक अभियान ऐसे हैं जिनके मूल में व्यवहारगत बदलाव है। ऐसा करना किसी भी नेतृत्व के लिए सहज नहीं होता, लेकिन जन-नीति को अपना ध्येय मानकर सेवा में जुटे प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में सार्थक प्रयास किया। स्वच्छता हो या सरकार की कोई भी नीति-योजना, जन-जन का जुड़ाव हर स्थान पर परिलक्षित हुआ है। अब एक नई सोच के साथ भारत ने अमृत यात्रा प्रारंभ की है।
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