जब दो व्यस्क कपल बिना शादी किए एक छत के नीच रहते हैं तो उसे लिव-इन रिलेशनशिप कहते हैं। यानी आसान भाषा में कहें तो, दोनों के बीच हर बात के लिए सहमति बन जाती है और बिना शादी किए एक ही घर में रहते हैं।
श्रद्धा मर्डर केस के बाद लिव-इन रिलेशनशिप एक बार फिर चर्चा में है। आफताब और श्रद्धा दोनों लिव-इन में रहते थे। हर रोज दोनों के बीच लड़ाई होती थी। इन सबके बावजूद भी श्रद्धा लिव-इन से नहीं निकल पा रही थी। आफताब के ऊपर आरोप है कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड श्रद्धा का मर्डर किया है। इन सबके बीच लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में हर कोई जानना चाहता है कि इसे लेकर भारत में क्या कानून है। अगर आपका बॉयफ्रेंड आपके साथ मारपीट करने लगे तो क्या कानून है। आइए समझते हैं कि लिव-इन को लेकर भारत का कानून क्या कहता है।
लिव-इन रिलेशनशिप क्या होता है?
जब दो व्यस्क कपल बिना शादी किए एक छत के नीच रहते हैं तो उसे लिव-इन रिलेशनशिप कहते हैं। यानी आसान भाषा में कहें तो, दोनों के बीच हर बात के लिए सहमति बन जाती है और बिना शादी किए एक ही घर में रहते हैं। कई ऐसे कपल होते हैं जिन्हें पारंपरिक विवाह से कोई लेना देना नहीं होता है। और बगैर शादी के बंधन में बंधे हुए साथ रहते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1978 में बद्री प्रसाद बनाम डायरेक्टर ऑफ कंसोलिडेशन के केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहली दफा इस संबंध को मान्यता दी थी।
फंडामेंटल राइट्स से जुड़े हैं लिव-इन रिलेशन का कनेक्शन इस रिलेशन को लेकर कोई लिखित कानून भारत में नहीं है। जब दो व्यस्क कपल साथ रहते हैं तो उन्हें साथ रहने का अधिकार संविधान के मौलिक अधिकारों से मिलता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपनी मर्जी से शादी करने या किसी के साथ रहने का अधिकार होता है। यानी आसान भाषा में समझें तो लिव-इन रिलेशन में रहने की आजादी और अधिकार को आर्टिकल 21 से अलग बिल्कुल नहीं माना जा सकता है।
लिव-इन में हिंसा हो तो क्या करे? अगर कोई युवती लिव-इन रिलेशन में रह रही है और उसका बॉयफ्रेंड उसके साथ मारपीट करता है तो वो पुलिस में FIR दर्ज करा सकती है। इंदिरा शर्मा बनाम वी.के शर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि प्रोटेक्शन ऑफ वूमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 की धारा 2F में जो बताया गया है कि उसमें लिव-इन रिलेशन को भी शामिल किया गया है।
रिलेशन के दौरान बच्चे हो गए तो क्या? रिलेशन के दौरान बच्चे पैदा हो गए तो उसे नाजायज नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि उसके माता-पिता लंबे समय से एक साथ बेड शेयर कर रहे हैं, तो ऐसे में बच्चा बिल्कुल भी नाजायज नहीं हो सकता है। Tusla and Durghatiya केस में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशन के दौरान जन्मे बच्चे को राइट टू प्रॉपटी का अधिकार दिया गया था।
(SOURCE: INDIATV)
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