प्रयागराज निवासी दीप्ति अवस्थी का जन्म लखीमपुर खीरी में हुआ | दीप्ति पेशे से ग्रहणी हैं व विगत 4 वर्षों से काव्य रचना कर रही हैं | गीत, गजल और छंद मुक्त में खास रुचि रखने वाली दीप्ति के अब तक निम्नलिखित पांच साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं
बज़्म-ए-तरब
लफ़्ज़ों की गुफ़्तुगू
काव्य निहारिका
शब्द समिधा
शब्द मञ्जरी
उनके द्वारा रचित एक प्यारी सी कविता है राधिका रानी |
राधिका रानी
कृष्ण प्यारी प्रिया प्रेम की पूर्णिमा,
पावनी प्रेम की प्रार्थना राधा।
बावरी बांसुरी बोलती बोल जो,
कृष्ण के भोर की वंदना राधा।
संगिनी श्याम की सुंदरी सृष्टि की,
कृष्ण के योग की साधना राधा।
रास लीला वही कृष्ण गीता वही,
कृष्ण के चित्त की चेतना राधा।
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भानु की रश्मियां कृष्ण का तेज हैं,
चंद्र की चांदनी राधिका रानी।
बात तीखी कहें कृष्ण सच्ची सभी,
घोलतीं चाशनी राधिका रानी।
गंग की धार है कृष्ण जी की कृपा,
भानुजा पावनी राधिका रानी।
योग से योग हो कृष्ण की ये प्रथा,
रास की ओढ़नी राधिका रानी।
योग- योग, मिलन
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स्वरचित
दीप्ति अवस्थी
प्रयागराज
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